- बीजेपी की काट का नया फॉर्मूला तैयार कर रही है बीएसपी, लोकसभा में जेवीएम कार्ड पर लगेगा दांव
सभी राजनैतिक दलों की तरह बहुजन समाज पार्टी ने भी लोकसभा चुनाव में सक्रियता बढ़ा दी है। लोकसभा चुनाव को लेकर सबसे खास और महत्वपूर्व पहलू उम्मीदवार का चयन होता है। इसे लेकर बहुजन समाज पार्टी अपनी सोशल इंजीनियरिंग के लिए खासी चर्चित है। हर बार आगरा की लोकसभा की सीटों पर सेकेंड नंबर पर रहने वाली बीएसपी इस बार किस नई रणनीति पर चुनाव लडऩे जा रही है। ये देखने वाली बात रहेगी।
आगरा। आगरा में बीते वर्ष हुए नगर निकाय चुनाव में बहुजन समाज पार्टी ने सफल प्रयास किया था। बीएसपी ने वाल्मीकि वोटर्स को अपने पाले में करने के लिए महापौर के पद पर एक वाल्मीकि प्रत्याशी को उतारकर विपक्षी दल बीजेपी को बेहतर चुनौती दी थी। बीएसपी जो कि महापौर चुनाव में 1 लाख 10 हजार वोटों में सिमट जाती थी। वो ये आंकड़ा पार करके 1 लाख 60 हजार तक पहुंच गई। इससे जाहिर होता है कि बीएसपी को वाल्मीकि समाज का वोट मिला। इसके साथ ही बीएसपी का अगला फोकस मुस्लिम मतदाताओं पर रहेगा। आगरा में सभी 9 विधानसभा सीटों पर मुस्लिम मतदाताओं की अ‘छी खासी संख्या है। अगर दोनों समुदाय ने मिलकर बीएसपी को वोट दिया तो उसका खुद का कैडर वोट जो कि हर विधानसभा में 45 से 50 हजार और कुछ में एक लाख से अधिक है। बीएसपी के लिए कारगर साबित हो सकता है।
जेवीएम कार्ड तैयार कर रही बीएसपी
बीएसपी जाटव, वाल्मीकि और मुस्लिम (जेवीएम कार्ड) का जातिगत समीकरण तैयार कर रही है। यही वजह है कि बीएसपी का उम्मीदवार कोई वाल्मीकि समाज से होने की कयास लग रहे हैं। बीएसपी के जिलाध्यक्ष विमल कुमार वर्मा का कहना है कि बीजेपी के साथ-साथ बीएसपी ऐसी पार्टी जहां उम्मीदवारों की कतार है। उनके पास भी कई दावेदारों के आवेदन आ चुके हैं। जिनमें वाल्मीकि और जाटव समुदाय के लोग शामिल हैं। पूर्व विधायक से लेकर पूर्व मेयर लता वाल्मीकि का भी आवेदन बीएसपी पर आ चुका है। पार्टी की मुखिया के अंतिम निर्णय के बाद ही उम्मीदवार की घोषणा की जाएगी।
आगरा सीट पर खास प्रभाव रखती है बीएसपी
बीएसपी सुप्रीमो मायावती ने लोकसभा चुनाव अकेले दम पर लडऩे का एलान किया है, उत्तर प्रदेश की 80 लोकसभा सीटों पर सबसे ’यादा फोकस 17 आरक्षित सीटों पर रहेगा। 2019 के लोकसभा चुनाव में 2 सीटों पर बीएसपी ने जीत दर्ज की थी। आगरा की आरक्षित सीट पर भी बीएसपी खास प्रभाव रहा है। 2009 के लोकसभा चुनाव के नतीजों पर गौर करें तो बीएसपी के उम्मीदवार कुंवरचंद वकील ने बीजेपी के रामशंकर कठेरिया को कड़ी टक्कर दी थी। जिसमें महज 9715 वोटों के अंतर से कुंवरचंद वकील की हार हुई थी। हालांकि 2014 और 2019 के चुनाव में ये वोटों का अंतर लाखों में बढ़ गया। इसे बीएसपी के रणनीतिकार सिर्फ कैंडीडेट के गलत चयन को मान रहे हैं। जबकि फतेहपुरसीकरी सीट पर 2009 में बीएसपी की उम्मीदवार सीमा उपाध्याय ने चुनाव जीता था।