फिरोजाबाद के पंकज उपाध्याय की इटावा के जसवंत नगर में क्यों हुई थी पिटाई
जसवंत नगर के एक गांव का 17 जून को पिटाई का वीडियो हुआ था वायरल

इटावा जिले के जसवंत नगर थाना क्षेत्र के गांव जनकपुर 17 जून के वायरल वीडियो का सच आया सामने, मिर्गी का मरीज निकला पंकज। मिश्रा — वायरल वीडियो में लगाए गए आरोप परिवार ने बताए झूठे।
इटावा जिले के थाना जसवंतनगर क्षेत्र के जनकपुर गांव में 17 जून को हुए एक घटनाक्रम का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है। वीडियो में एक युवक को शराब के नशे में महिला के पास जाते हुए दिखाया गया है, जिसे ग्रामीणों ने पकड़कर पीटा और बाद में पुलिस के हवाले कर दिया। लेकिन इस पूरे मामले की सच्चाई कुछ और ही सामने आई है।
जांच में सामने आया है कि वायरल वीडियो में दिख रहा युवक इटावा का नहीं बल्कि फिरोजाबाद जिले के टूंडला कस्बे के एक गांव का रहने वाला पंकज उपाध्याय है। वह पेशे से एक धार्मिक प्रवक्ता हैं और भागवत कथा व हवन अनुष्ठान कराते हैं। पंकज उपाध्याय ने वृंदावन में कथा वाचकों से धार्मिक शिक्षा प्राप्त की है।
परिजनों के अनुसार, पंकज 16 जून को जनकपुर गांव में कालीचरण नामक व्यक्ति से भागवत कथा के आयोजन को लेकर चर्चा करने गए थे। इससे पूर्व भी वे गांव में दो बार कथा कर चुके थे। 17 जून की रात उनकी तबीयत अचानक बिगड़ गई और उन्हें मिर्गी का दौरा पड़ा, जिससे वे अपनी सुध-बुध खो बैठे। इस अवस्था में वे अनजाने में एक चारपाई पर सो रही महिला के पास जा पहुंचे। ग्रामीणों ने उन्हें नशे में समझा और छेड़खानी का आरोप लगाते हुए मारपीट शुरू कर दी।
पंकज उपाध्याय ने बताया कि वे बीते 10 वर्षों से मिर्गी की दवा ले रहे हैं और उनका इलाज दिल्ली एम्स में चल रहा है। उनका कहना है कि न तो वे शराब पीते हैं, न ही किसी प्रकार का नशा करते हैं। वायरल वीडियो में उनका नाम गलत रूप से ‘पंकज मिश्रा’ बताया गया है, जबकि उनका वास्तविक नाम पंकज उपाध्याय है।
पंकज के माता-पिता ने इस घटना को लेकर गहरी चिंता जताई है। उनकी मां मंजू उपाध्याय का कहना है कि उनका बेटा बेहद अनुशासित जीवन जीता है, उसने कभी नशा नहीं किया और फिर भी यादव समाज के कुछ लोगों ने उसे पीटकर बदनाम कर दिया। उनके पिता राकेश उपाध्याय ने सरकार से अपील की है कि वीडियो वायरल करने और झूठे आरोप लगाने वालों पर सख्त कार्रवाई की जाए, क्योंकि वे वृद्ध हैं और न्याय के लिए अकेले लड़ने में असमर्थ हैं।
गौरतलब है कि 17 जून की घटना के बाद अब तक न तो यादव पक्ष की ओर से और न ही पंकज उपाध्याय के परिवार की ओर से कोई एफआईआर दर्ज कराई गई है। इसी कारण पुलिस की ओर से भी अब तक कोई कार्रवाई नहीं हुई है।
फिलहाल, पंकज उपाध्याय और उनके परिजन मानसिक तनाव से जूझ रहे हैं और समाज में बदनामी का दंश झेल रहे हैं, जबकि वायरल वीडियो में दिखाया गया घटनाक्रम वास्तविकता से कोसों दूर है।