स्वयं सहायता समूह बना रहे महिलाओं को सशक्त और आत्मनिर्भर

फिरोजाबाद
स्वतंत्रता के बाद महिलाओं की सशक्तिकरण के लिए शासन द्वारा किया गया सबसे उल्लेखनीय कार्य राष्ट्रीय आजीविका मिशन का गठन है, स्वयं सहायता समूहों के माध्यम से महिलाएं न केवल आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर बनी है, बल्कि उनके अंदर की प्रतिभा और हुनर को भी नया आयाम मिला है, स्वयं सहायता समूहों से जोड़कर महिलाओं का सामाजिक दायरा बढ़ा है, साथ ही साथ आपसी समन्वय और सहभागिता भी बढ़ी है, स्वयं सहायता समूह ने महिलाओं को वह आत्मबल प्रदान किया है, जिसके माध्यम से महिलाओं ने सदियों से व्याप्त बंदिशों और रूढ़ियों को खंडित करने का कार्य किया है।
इस समूह से जुड़ने के पश्चात् महिलाएं आज अपने परिवार के लिए एक मजबूत आधार बन गई है, अगर हम जनपद फिरोजाबाद की बात करें तो जिलाधिकारी रमेश रंजन के मार्गदर्शन और मुख्य विकास अधिकारी शत्रोहन वैश्य के नेतृत्व में जिले में अब तक 7850 समूहों का गठन किया जा चुका है, इन समूह से कुल 90797 परिवारों को लाभ पहुंच रहा है और 6823 समूहों को स्टार्टअप फंड दिया गया है, जबकि आपसी लेनदेन को बढ़ाने हेतु तीस हजार समूहों को रिवाल्विंग फंड भी दिया गया है, इसके साथ ही 5795 समूहों को आजीविका गतिविधियों का बढ़ावा देने हेतु प्रत्येक समूह को डेढ़ लाख रुपए का कम्युनिटी इन्वेस्टमेंट फंड दिया गया है।
साथ ही साथ जिले में कृषि सेक्टर बढ़ावा देने के लिए ड्रोन दीदीयों का गठन किया गया है, जो ड्रोन के माध्यम से खेतों में उर्वरकों का छिड़काव करने का कार्य करती हैं, इसमें जिलें की तीन दीदीयों को माननीय राज्यपाल महोदया की तरफ से विशिष्ट कार्य करने हेतु प्रमाण पत्र भी प्रदान किए गए है, इन दीदीयों में शिकोहाबाद की संगीता, मदनपुर से रजनी व मदनपुर से ही अंजू रहीं, इस तरह आज स्वयं सहायता समूह की महिलाएं विभिन्न क्षेत्रों में महत्वपूर्ण कार्य कर रही हैं, जिसका विवरण निम्नवत् है, बैंक सखी के रूप में, समूह सखी के रूप में, स्वास्थ्य सखी के रूप में, विद्युत सखी के रूप में, वित्तीय साक्षरता सखी के रूप में, सूक्ष्म उद्यमी के रूप में कार्य कर रही हैं, इस तरह जनपद में 18356 लखपति दीदीयां बन चुकी हैं।
आज कोई ऐसा सेक्टर या क्षेत्र नहीं है जिसमें स्वयं सहायता समूह की महिलाएं अपनी प्रतिभा का प्रदर्शन न कर रही हों, जैसे शांति देवी, कांच के उत्पादन में, लक्ष्मी देवी विद्युत सखी के रूप में, पूनम बैंक सखी के रूप में, चंचल हैंडीक्राफ्ट के क्षेत्र में विशिष्ट कार्य कर रही हैं। इसके अलावा स्वयं सहायता समूह की महिलाएं मधुमक्खी पालन, डेयरी जैसे क्षेत्रों में भी अपनी प्रतिभा का प्रदर्शन कर रही हैं, स्वयं सहायता समूह के गठन के माध्यम से सरकार ने गांधी के ग्राम स्वराज की अवधारणा को चरित्रार्थ करने का कार्य किया है।