शिव भक्त रावण ने चढ़ाई थी पहले कावड़ तब से शुरू हुई….

शिव भक्त रावण ने चढ़ाई थी पहले कावड़ तब से शुरू हुई….
निशा गुप्ता
एजेंडा पोस्ट, धर्म।
पवित्र श्रावण मास का शुभारंभ हो चुका है श्रद्धालु गंगा घाटों से भगवान भोलेनाथ के जलाभिषेक के लिए कंधे पर कावड़ रखकर जल लेकर पहुंचते हैं । कावड़ की परंपरा कितनी पुरानी है क्या है मान्यता आखिर क्यों लाई जाती है कंधेपर पर कावड़ लाने का सिलसिला कब से शुरू हुआ ।
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार वैसे तो भगवान परशुराम द्वारा कावड़ लाकर भगवान भोलेनाथ के जलाभिषेक की परंपरा शुरू करने की कहानियां प्रचलित है लेकिन एक पौराणिक किवदंती के मुताबिक एक बार लंका पति रावण ने कैलाश पर्वत को उठाने का प्रयास किया था इस प्रयास के दौरान कैलाश पर्वत डोलने लगा और रावण के इष्ट भगवान भोलेनाथ इस बात से क्रोधित हो गए।
भगवान शिव के क्रोधित होते ही रावण उनके चरणों में दंडवत हो गया और भगवान को प्रसन्न करने के लिए वह कंधे पर कावड़ लेकर आया और भगवान भोलेनाथ का जलाभिषेक किया रावण के जलाभिषेक के बाद भगवान शिव प्रसन्न हुए।
मान्यता है कि पहली बार कंधे पर कावड़ से भक्त रावण लेकर आया था तभी से यह परंपरा शुरू हुई कंधे की कावड़ को ही पवित्र माना जाता है।
अस्वीकरण
एजेंडा पोस्ट द्वारा यह लेख पौराणिक मान्यताओं और साहित्यिक पुस्तकों से उपलब्ध जानकारी के आधार पर लिखा गया है एजेंडा पोस्ट संपादकीय टीम इस लेख पर किसी प्रकार की कोई पुष्टि या प्रमाणिकता का दावा नहीं करती।